गरीब कल्याण रोजगार योजना (GKRY) भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जो गांवों में रोजगार और पैसे की तंगी दूर करने के लिए बनाई गई है। कोविड-19 के दौरान जब लाखों लोग अपने गांव लौटे तो उनकी रोज़ी-रोटी पर ऐसा संकट आया कि शहरों से वापस आकर लगे, “अब क्या करें?” इसी परेशानी में सरकार ने 20 जून 2020 को सोचा, “चलो, कुछ काम-धंधा दिला देते हैं!” और फिर ये योजना आई, ताकि गांवों में लोग खाली बैठने के बजाय काम कर सकें और गांव की भी रौनक लौट आए।
योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- रोजगार सृजन: प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में रोजगार प्रदान करना।
- ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास: गाँवों में सड़कों, आवासीय भवनों, जल आपूर्ति, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास करना।
- प्रवासी मजदूरों की सहायता: जिन मजदूरों ने लॉकडाउन के दौरान अपने गांवों में लौटने का मजबूरी में फैसला लिया, उनके लिए स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करना।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देना: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लक्ष्यों को पूरा करना।
मुख्य विशेषताएं: गरीब कल्याण रोजगार योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- समग्र रोजगार: यह योजना 125 दिनों की अवधि के लिए शुरू की गई थी, जिसमें लगभग 50,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई थी। योजना का लक्ष्य था 25,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करना।
- प्रमुख क्षेत्रों में काम: इस योजना के तहत 25 विभिन्न प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया है, जिसमें जल संरक्षण, सड़क निर्माण, सामुदायिक भवनों का निर्माण, बागवानी, पौधारोपण, आदि शामिल हैं। ये कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल रोजगार प्रदान करते हैं, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास में भी मदद करते हैं।
- सरकार की विभिन्न योजनाओं का समन्वय: गरीब कल्याण रोजगार योजना का समन्वय विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, और अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं के साथ किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति तेज हुई है।
- राज्यों की भागीदारी: इस योजना को 6 राज्यों—बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, और ओडिशा में लागू किया गया है, जहाँ प्रवासी मजदूरों की संख्या सबसे अधिक थी। यह योजना इन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायक सिद्ध हुई है।
प्रभाव और परिणाम: गरीब कल्याण रोजगार योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और प्रवासी मजदूरों के जीवन में स्थायित्व लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना से अब तक लाखों मजदूरों को लाभ हुआ है और उनके आर्थिक संकट में कुछ राहत मिली है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का भी विकास हुआ है, जिससे वहाँ के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिली हैं।
चुनौतियाँ: हालांकि, योजना का प्रभाव सकारात्मक रहा है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं।
- कार्य का सतत प्रवाह: योजना के तहत काम तो मिला, लेकिन कुछ मजदूरों के लिए यह सतत रोजगार का स्रोत नहीं बन पाया। कई बार कार्यों की अनुपलब्धता से मजदूरों को अस्थाई तौर पर बेरोजगार रहना पड़ा।
- प्रवासी मजदूरों की पहचान और पंजीकरण: कुछ जगहों पर प्रवासी मजदूरों की पहचान और पंजीकरण में समस्याएँ आईं, जिससे उन्हें रोजगार मिलने में देरी हुई।
निष्कर्ष: गरीब कल्याण रोजगार योजना ने कोविड-19 महामारी के कठिन समय में ग्रामीण भारत के मजदूरों के लिए एक जीवनरेखा का कार्य किया है। यह योजना न केवल रोजगार सृजन का साधन बनी है, बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। हालांकि, इस योजना को और अधिक स्थायित्व और प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की स्थिरता बनी रहे और मजदूरों के जीवन स्तर में स्थायी सुधार हो सके।