भारत सरकार ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC – गैर-क्रीमी लेयर), और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए विशेष कोचिंग योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में समानता सुनिश्चित करना और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन छात्रों को सशक्त बनाना है।
यह योजना छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन में सुधार, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, और सरकारी तथा निजी नौकरियों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा इन योजनाओं को सामान्य विकास सहायता योजना के साथ जोड़ा गया है, ताकि अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।
योजना का उद्देश्य:
1. उपचारात्मक कोचिंग (Remedial Coaching)
उपचारात्मक कोचिंग स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों के लिए उपलब्ध है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- विभिन्न विषयों में छात्रों की शैक्षणिक और भाषाई दक्षता में सुधार
- मूल विषयों की समझ को बेहतर बनाना
- प्रयोगशाला गतिविधियों और मात्रात्मक तकनीकों में विशेष प्रशिक्षण
- छात्रों की विफलता और ड्रॉपआउट दर को कम करना
- आवश्यकतानुसार करियर मार्गदर्शन और मनोवैज्ञानिक परामर्श
2. सेवाओं में प्रवेश के लिए कोचिंग (Coaching for Entry into Services)
यह योजना छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करती है। इसमें शामिल हैं:
- केंद्रीय सेवाओं में ग्रुप ‘A’, ‘B’ और ‘C’ पदों की तैयारी
- IAS, राज्य लोक सेवा, बैंक भर्ती जैसी परीक्षाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण
- निजी क्षेत्र में समकक्ष पदों के लिए तैयारी
3. NET/SET परीक्षा की कोचिंग
इस घटक का मुख्य उद्देश्य है विश्वविद्यालय प्रणाली में व्याख्याता के रूप में चयन के लिए NET या SET परीक्षा की तैयारी कराना।
योजना के लाभ:
- अधिक छात्रों के लिए अवसर: विश्वविद्यालय अपनी छात्रों की संख्या के अनुसार एक या एक से अधिक योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- वित्तीय सहायता:
- गैर-आवर्ती सहायता: 5 लाख रुपये तक की एकमुश्त सहायता पुस्तकों, ऑडियो-वीडियो सामग्री, कंप्यूटर, फोटोकॉपियर, और जनरेटर जैसे उपकरणों के लिए।
- आवर्ती सहायता: प्रति योजना प्रति वर्ष 7 लाख रुपये की सहायता।
- सम्मानजनक पारिश्रमिक:
- शिक्षकों को प्रति घंटे 300 रुपये और अनुसंधान छात्रों को प्रति घंटे 200 रुपये का पारिश्रमिक।
- विशेष व्याख्यान के लिए प्रतिष्ठित शिक्षकों को 500 रुपये प्रति घंटे का पारिश्रमिक।
- संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति:
- कंप्यूटर ज्ञान वाले अंशकालिक कर्मचारियों को 6,000 रुपये प्रति माह।
- अंशकालिक चपरासी/सहायक को 1,000 रुपये प्रति माह।
योग्यता
इस योजना के तहत वित्तीय सहायता उन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को दी जाती है, जो UGC अधिनियम 1956 की धारा 2(f) के अंतर्गत आते हैं और धारा 12(B) के तहत केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं। ऐसे संस्थान जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों की पर्याप्त संख्या है, उन्हें इस योजना के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। सामान्य वर्ग के वे छात्र जिनके पास केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड है, वे भी इन कोचिंग कक्षाओं के लिए पात्र होंगे। यदि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के पर्याप्त छात्र उपलब्ध नहीं हैं, तो ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) और गरीब सामान्य वर्ग के छात्रों का प्रतिशत बढ़ाकर 40% तक किया जा सकता है। राजस्थान सरकार ने युवाओं के कौशल विकास और उनके उज्जवल भविष्य को संवारने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है यंग इंटर्न्स प्रोग्राम (Young Interns Program – YIP)।
आवेदन प्रक्रिया:
- चरण 1: आवेदक को पहले अपने विश्वविद्यालय या कॉलेज के रजिस्ट्रार/प्राचार्य से संपर्क करना होगा।
- चरण 2: संबंधित विभाग से निर्धारित प्रारूप में आवेदन प्राप्त करें।
- चरण 3: आवेदन पत्र में दी गई जानकारी को सही-सही भरने के बाद, इसे संबंधित विभाग में जमा करें।
- चरण 4: सफल सत्यापन के बाद, आवेदक योजना का लाभ उठा सकते हैं।
निष्कर्ष
यह योजना शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, और अल्पसंख्यक समुदायों को न केवल शिक्षित करने में मदद करती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। यह पहल समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।